14 नवम्बर फ्रेडेरिक बेन्टिंग का जन्म दिन है जिन्होंने कानाडा के टोरन्टो शहर में चार्ल्स बेस्ट के साथ मिलकर सन 1921 में इन्सुलिन की खोज की थी। इतिहास की इस महान खोज को अक्षुण रखने के लिए इन्टरनेशनल डायबिटीज फेडेरेशन (आईडीएफ) द्वारा 14 नवम्बर को पिछले दो दशको से विश्व डायबिटीज दिवस हर साल मनाया जाता है। यह दिन डायबिटीज की खतरनाक दस्तक को लोगों को समझाती है। हर साल एक नया थीम दिया जाता है। सन 2009 से 2012 तक थीम डायबिटीज के एडुकेशन एवं प्रीवेन्शन को लेकर इंगित है। 

क्या है विश्व मधुमेह दिवस?

विश्व मधुमेह दिवस हर साल 14 नवंबर को मनाया जाता है। इसी दिन बेटिंग का जन्मदिन भी है जिन्होंने इंसुलीन की खोज की थी।  फैंडरिक बेटिंग के योगदान को याद रखने के लिए इंटरनेशनल डायबेटिक फेडरेशन द्वारा 14 नवंबर को दुनिया के 140 देशों में मधुमेह दिवस मनाया जाता है। हर साल एक नया ‘थीम’ चयन किया जाता है और जनता को जागरुक बनाने की पहल की जाती है। सन 2006 से यह यूनाइटेड नेशन वल्ड डायबिटीज डे हो गया है।

भारत में इसकी अहमियत

मधुमेह मरीजों के मामले में सरताज है भारत। करीब 190 मिलीयन लोग पूरे विश्व में इस रोग से ग्रसित हैं। साल 2025 तक यह संख्या 330 मिलीयन तक हो जाने की संभावना है। भारत में अभी करीब साढ़े तीन करोड़ लोग मधुमेह से ग्रसित हैं। गलत खानपान एवं आलसी जीवन शैली के कारण दिन-ब-दिन कम उम्र के लोगों में यह बीमारी हो रही है। भारत को विश्व का ‘डायबेटिक कैपिटल’ कहा जा रहा है।भारत में जोर-शोर से विश्व मधुमेह दिवस मनाने की जरूरत है।

विभिन्न सालों के संदेश

सन 2009 से 2018 तक थीम डायबिटीज के एडुकेशन एवं प्रीवेन्शन को लेकर इंगित है। 

• 2008 – अब कुछ अलग कर दिखाने का समय है।बच्चों एंव किशोरों को डायबिटीज से बचाइए।
• 2007 – 264 कदम चलें।
• 2006 – बच्चों को डायबिटीज को बचाइए।
• 2005 – मधुमेह में पैरों की देखभाल जरुरी है।
• 2004 – मोटापा छुड़ाएं, मधुमेह से बचें।
• 2003 – मधुमेह रोगियों को गुर्दे की खराबी पर जागरुक करें।
• 2002 – मधुमेह में करें आँखों की देखभाल।
• 2001 – मधुमेह में करें ह्र्दय की देखभाल।
• 2000 – सही जीवन शैली से रोकें मधुमेह को।
• 1999 – मधुमेह के कारण राष्ट्रीय बजट पर खतरा है।
• 1998 – मधुमेह मरीजों के अधिकार सुरक्षित हैं।
• 1997 – विश्वव्यापी जागरुकता जरुरी है।
• 1996 – इंसुलीन ही जीवन का अमॄत है।
• 1995 – बिना जानकारी मधुमेह के रोगी का भविष्य खतरे में होगा।
• 1994 – बढ़ती उम्र मधुमेह का रिस्क फैक्टर है। इसे कम कर सकते हैं।
• 1993 – किशोरावस्था में मधुमेह की देखभाल।
• 1992 – मधुमेह विश्वव्यापी एवं सभी उम्र की समस्या है।
• 1991 – मधुमेह पर जनता को जागरुक करें।

डायबिटीज से बचाव का नया चेहरा

सन 2009 से 2012 तक थीम डायबिटीज के एडुकेशन एवं प्रीवेन्शन को लेकर इंगित है।

खानपान की खराबी और शारीरिक श्रम की कमी के कारण पिछले दशक में डायबिटीज होने की दर दुनिया के हर देश में बढ़ी है। भारत में इसका सबसे विकृत स्वरुप उभरा है जो बहुत भयावह है। एक दशक पहले भारत में टाइप-टू डायबिटीज होने की औसत उम्र चालीस साल की थी जो अब घट कर 25 से 30 साल हो चुकी है। 15 साल के बाद ही बड़ी संख्या में लोगों को डायबिटीज का रोग होने लगा है। कम उम्र में इस बिमारी के होने का सीधा मतलब है कि चालीस की उम्र आते-आते ही बीमारी के दुष्परिणामों को झेलना पड़ता है। डायबिटीज के कारण ही किडनी की खराबी, स्ट्रोक, हृदय आघात, पैरों का गैन्ग्रीन और आंखों का अन्धापन अब भारत की मुख्य स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। इससे यह स्पषट होता है कि डायबिटीज से बचाव हमारी प्रमुख प्राथमिकता हो गयी है। मेडीकल साईन्स ने डायबिटीज से बचाव पर नए शोधों ने खुलासा किया है। दुनिया में चाईनीज, फिनिश, इण्डियन एवं अमेरीका की अति महत्वपूर्ण डी.पी.पी स्टडी ने साफ दिखाया है कि बचप से जीवन शैली सही रखकर इस बीमारी से बचना पूर्णतः संभव है। डायबिटीज के क्षितिज पर प्रीवेन्शन अभी सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा बन कर उभरा है।