देखिए आप कहाँ हैं?

आपको डायबिटीज है यदि:
• फास्टिंग सुगर: 126 मि.ग्रा.से है ज्यादा
• पी.पी.सुगर(खाना के 2 घन्टे बाद): 200 मि.ग्रा. से है ज्यादा

आपको नही है डायबिटीज मगर आप सामान्य भी नहीं हैं:
• फास्टिंग सुगर: 100-126 मि.ग्रा.
• पी.पी.सुगर(खाना के 2 घन्टे बाद): 140-200 मि.ग्रा.
यही है प्री-डायबिटीज की अवस्था।

आपको डायबिटीज नहीं हैं:
• फास्टिंग सुगर: 100 मि.ग्रा.से है कम
• पी.पी.सुगर(खाना के 2 घन्टे बाद): 140मि.ग्रा. से है कम

प्री-डायबिटीज की अवस्था क्यों खतरनाक है?

i. यह भविष्य में डायबिटीज होने की सूचना देता है। 10 साल में 20-50 प्रतिशत लोगों को डायबिटीज हो ही जाता है।
ii. प्री-डायबिटीज में रहने वालों को भी डायबिटीज के दुष्परिणामों के होने का खतरा उतना ही रहता है।

इस अवस्था में क्या करना चाहिए?

यह एक गोल्डेन अवसर है। यदि इस समय बचाव के रास्तों को अपनाया जाये तो बीमारी को आगे रोका जा सकता है।

प्री- हाइपरटेंशन: प्री- हाइपरटेंशन में सजगता।

जे.एन.सी. यानी ज्वाइंट नेशनल कमिटी पूरी दुनिया की सबसे प्रमाणिक संस्था है, जो ‘रक्तचाप’ पर निर्देश देती है। अभी जे.एन.सी.-7 के रिपोर्ट नवीनतम है। यह सन् 2003 में बना। इसके पहले जे.एन.सी.-6 को माना जा रहा था। पुराने रिपोर्ट के अनुसार यदि आपके ऊपर का सिसटोलिक रक्तचाप 140 के नीचे एवं नीचे का डायस्टोलिक 90 के नीचे हो तो यह सामान्य स्थिति मानी जाती थी। यानि 140/90 के ऊपर का मतलब रक्तचाप की बीमारी हो जाना है। मगर जे.एन.सी.-7 के रिपोर्ट ने नई बात सामने लाई है। इसके अनुसार यदि आपका डायस्टोलिक 80 से ज्यादा मगर 90 से नीचे हो और सिसटोलिक 130 से 140 के बीच हो तो आप ‘प्री हाइपरटेंशन’ से ग्रसित है।

आपको अभी रक्तचाप की बीमारी हुई नहीं है मगर होने की सम्भावना है। इस नई परिभाषा के आने के बाद इस पर काफी शोर मचा। मगर प्री हाइपरटेंशन का कानसेप्ट इस मायने में बहुत अजूबा है कि यह आदमी को पहले ही सचेत कर देता है। यह एक स्वर्णिम अवसर प्रदान करता है कि सही जीवन प्रणाली द्वारा आप अपने को स्वस्थ्य रखें। यह अति महत्वपूर्ण बात है कि यदि किसी आदमी का रक्तचाप 150/100 भी हो गया है तो तुरंत दवा खाने की सलाह नहीं दी जाती है।

यदि विशिष्ट परिस्थितियों में रक्तचाप बढ़ा हो तो दवा दी जाती है मगर सामान्य परिस्थितियों में नहीं। करीब छह महीने तक ‘इन्टेन्सिभ लाइफ स्टाइल मोडिफिकेशन’ करने के बाद भी रक्तचाप सामान्य न हो तभी दवा देने का नियम है। मेडीसीन के ‘टेक्सट बुक’ में इस लाइफ स्टाइल मोडिफिकेशन पर विस्तार रुप से चर्चा की गयी है। इसकी मुख्य बातें पूरी समाज के लिए उपयोगी है।

धूम्रपान पूरा बंद कर दें।
वजन संतुलित करें।
भोजन में सोडियम की मात्रा कम करें, सामान्यतः 10 ग्राम नमक लोग एक दिन में खाते हैं। इसे कम करके 3 ग्राम तक लाना है। नमकीन चीजें जैसे दालमोट, आचार, पापड़ का पूर्णतः परहेज करें। शरीर में ज्यादा सोडियम होने से पानी का जमाव होता है जिससे रक्त का आयतन बढ़ जाता है जिसके कारण रक्तचाप बढ़ जाता है।
भोजन में पोटाशियम युक्त चीजें बढ़ा दें। जैसे ताजे फल, डाब का पानी आदि। डिब्बे में बंद सामाग्री का इस्तेमाल न करें।
भोजन में कैलशियम (जैसे दूध में) और मैगनिशियम की मात्रा संतुलित करें।
रेशेयुक्त पदार्थों को खूब खायें। जैसे फलों के छिलके, साग/चोकर युक्त आटा/इसबगोल आदि। सैचुरेटेड फैट (मांस/वनस्पति घी) की मात्रा कम करें।
शराब एक पैग से ज्यादा न पीयें।
नियमित व्यायाम करें। खूब तेज लगातार 30 मिनट पैदल चलना सर्वोंत्तम व्यायाम है।
योग/ध्यान/प्राणायाम रोज करें।