आपका मधुमेह नियंत्रित है यदि..
i. ग्यालयकोसालेट हिमोग्लोबीन है – 7% से कम।
ii. खाना के पहले कैपलरी प्लाजमा ग्लुकोज है(ग्लुकोमीटर से) – 90 से 130 मि.ग्रा. के बीच।
iii. पीक पोस्टप्रैनडीयल कैपलरी प्लाजमा है – 180 मि.ग्रा. से कम।
iv. रक्तचाप है – 130/80 से कम।
v. एल. डी. एल. कॉलेस्ट्रॉल है – 100 मि.ग्रा. से कम।
vi. ट्रायग्लायसेराइड है – 150 मि.ग्रा. से कम।
vii. एच. डी. एल. कॉलेस्ट्रॉल है – 40 मि.ग्रा. से ज्यादा।
आजकल मधुमेह के नियन्त्रण को परखने के लिए बल्डसुगर ही नहीं बल्कि उपरोक्त 7 मानकों को सही रखना जरूरी माना गया है।
आजकल मधुमेह में ब्लड सुगर नियंत्रण पर बहुत जोर दिया जा रह है। इसका कारण है यह जानकारी कि यदि आपका ब्लडसुगर नियंत्रण के पैमाने के आसपास है तो बीमारी के तमाम दुष्परिणामों से आप बच सकते हैं। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के मानको के अनुसार मुख्यतः 3 जांचों के द्वारा नियंत्रण का जायजा लिया जाता है। इसके अलावा कुछ और पैमानों पर भी नजर रखी जाती है।
* ग्यालकोसालेटेड हीमोग्लोबिन एक ऐसी जांच है जिससे पिछले तीन महीने में ब्लड सुगर ठीक रहा है कि नहीं, यह पता चल जाता है। नये मानकों के अनुसार ग्लायकोसालेटेड हीमोग्लाबिन 7 प्रतिशत से कम होना चाहिए। हमारे देश में मंहगा होने के कारण चिकत्सक अक्सर इस जांच के लिए प्रेरित नहीं करते हैं। मगर यह एक महत्वपूर्ण जांच है और एक ही रीडिंग से पिछले तीन महीने के औसत ब्लडसुगर का जायजा लिया जाता है।
* खाने के तुरंत पहले जिसे हम प्रीप्रैनडियल प्लाज्मा ग्लुकोज की जांच कहते हैं, वह 90 मि.ग्रा से 130 मि.ग्रा. के बीच होना चाहिए। पोस्ट प्रैडियल प्लाज्मा ग्लुकोज की जांच खाने के दो घंटे बाद करते हैं।
* इसके अलावा डायबिटीज के मरीज का रक्तचाप 130-80 से कम होना चाहिए। यदि यह इस मानक से ज्यादा है तो तुरंत उपयुक्त दवा द्वारा इसके नियंत्रित करने की जरूरत है।
* कोलेस्ट्रांल संबंधी जांच अब अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है और डायबिटीज मरीज का एलडीएल कोलेस्ट्राल 100 मि.ग्रा. से कम होना चाहिए।
* ट्राइग्लायसेराड की मात्रा 150 मि.ग्रा. से कम एवं एचडीएल कोलेस्ट्राल की मात्रा 40 मि.ग्रा से ज्यादा होनी चाहिए। आजकल स्टेटीन, फाइबरेट, नियासीन एवं एजेटीबाइब जसी उत्तम दवाइयां बाजार में उपलब्ध है। इनके उपयोग द्वारा कोलेस्ट्राल संबंधी मानकों क ठीक रखा जा सकता है। भारतीय मरीजों में टाइग्यालसेराइड का ज्यादा रहना एवं एचडीएल कोलेस्ट्राल का कम रहना आम बात है और इस ग्रुप के मरीजों में फाइबरेट ग्रुप की दवा ज्य्दा अच्छा कार्य करती है।
एस.एम.बी.जी-सेल्फ मानिटरिंग ऑफ ब्लडग्लुकोज को कहते हैं और आजकल नये मानकों के अनुसार इसे अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वस्तुतः यह प्रक्रिया ग्लुकोमीटर यंत्र द्वारा स्वतः ब्लडसुगर जांच करते रहने की है। ग्लुकोमीटर का यंत्र आजकल 2000 रुपये के आसपास हर जगह मिल जाता है। वैसे तो प्रतिदिन इसके द्वारा ब्लडसुगर जांच करने की महत्ता की बात की गयी है मगर भारतीय मरीजों में ऐसा करना कई कारणों से संभव नहीं है। ग्लुकोमीटर की रीडिंग के बीच-बीच में लेबोरेट्री जांच से मिलाकर परखते रहना चाहिए।
एमएनटी शब्द भी आजकल जोर पकड़ रहा है। इसका मतलब मेडिकल न्यूटीशनल थेरापी से है। इसके तहत सही डायटीशियन द्वारा कैलोरी के हिसाब से भोजन तालिका बनवाने पर जोर दिया जाता है। भारतीय मरीजों में ऐसी भोजन तालिका की उपयोगिता तो है मगर उसका पालन करवाना एक भारी समस्या है।
अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन ने फीजिकलएक्टीवीटी यानी शारीरिक व्यायाम की महत्ता पर बार-बार जोर दिया है। डायबिटीज के सही नियंत्रण में शारीरिक व्यायाम की महत्ता पर मरीजों को और ज्यादा सजग होने की जरूरत है। यह किसी भी दवा एवं दुआ से ज्यादा जरूरी है। डायबिटीज के स्टैंडर्ड ऑफ मेडिकल केयर की जानकारी हमारे मरीजों के पास समुचित नहीं है। इससे रूबरू होना एक अहम मुद्दा है। इस पर जागरूकता आये तो डायबिटीज से होने वाले दुष्परिणामों से बचा जा सकता है।
मधुमेह में नियंत्रण के पैमाने
अच्छा | साधारण | खऱाब | |
फास्टिंगसुगर | 65-100 मि.ग्रा.% | 130 तक | > 130 |
पी.पी. सुगर(2 घन्टेखानेकेबाद) | 90-130 मि.ग्रा.% | 165 तक | > 178 |
लीपीडप्रोफाइल | |||
कॉलेस्टारॉल | 200 मि.ग्रा.% तक | 240 तक | > 260 |
एल.डी.एल.- कॉलेस्टारॉल | 130 मि.ग्रा. तक | 160 तक | > 180 |
एच्.एल.डी– कॉलेस्टारॉल | >50 | 40-45 | > 35 |
टी.गीट्रायग्लाइसराइड | 150 तक | 250 तक | > 250 |
ग्लायकोसालेटेडहीमोग्लोबीन | 8.5% तक | 10.5% तक | > 11 |
फ्रुकटासोमीन(एम.एम.ओ.एल/एल) | 2.8 तक | 3.5 तक | > 4 |
बिना खून निकाले अब शुगर की जाँच सम्भव
अभी हाल में मोनट्रीयल ,कनाडा में इन्टरनेशनल डायबेटिक फेडेरेशन का सम्मेलन के दौरान स्काउट डी.एस नामक मशीन को दिखाया गया जिससे बिना रक्त निकाले शुगर की मात्रा जानी जा सकती है। ब्लड शुगर जाँच के लिए अब नई तकनीक से बिना खून निकाले स्क्रीनींग सम्भव है। चित्र में दिखाए गये स्थिति के अनुसार हाथ को मशीन के ऊपर रखा जाता है। मशीन चमडे के संसगॅ में आते ही शुगर की मात्रा दिखा देती है।इसमें फास्टिंग की आवश्यकता नहीं होती।कम्पनी ने दावा किया है कि यह टेस्ट फास्टिंग शुगर एंव ग्लायकोसाइलेटेड हीमोग्लोबीन टेस्ट से ज्यादा संवेदनशील है।अभी यह टेस्ट-तकनीक सभी जगह उपलब्ध नही है। यह मशीन काफी मँहगी भी है..