ग्लायकोसाइलेटेड हीमोग्लोबीन टेस्ट महत्वपूर्ण है। अवश्य कराएँ हर तीन महीने बाद। इस टेस्ट को करने में मात्र 5 मिनट लगता है। इसे किसी भी समय किया जा सकता है, यानि फास्टिंग की आवश्यकता नही होती।
2010 में ए.डी.ए.ने नये मानक दिए हैं।
ए.डी.ए. द्वारा ग्लायकोसाइलेटेड हीमोग्लोबीन टेस्ट डायबिटीज के निदान के लिए भी अनुमोदित।
अभी तक ग्लायकोसाइलेटेड हीमोग्लोबीन टेस्ट केवल नियन्त्रण के लिए ए.डी.ए द्वारा सिफारिश में था। 2009 में ए.डी.ए. द्वारा यह निदान के लिए भी करने को कहा गया है।इस तरह एस टेस्ट का महत्व अब काफी बढ गया है।अगर किसी व्यक्ति का ग्लायकोसाइलेटेड हीमोग्लोबीन 6.5 % से ज्यादा है तो अब एक्सपर्ट कमिटी ने निदान के लिए अनुमोदित कर दिया है। तकनिकी तौर पर यह एक बेहतर टेस्ट है क्योंकि यह डायबिटीज के दुष्परिणामों को सही ढग से दर्शाता है।यह डायबिटीज के डायगनोसिस में अब नया मुकाम बनने जा रहा है।
2009 में:
ब्लड सुगर टेस्ट की रिडिग रोज ही बदलती रहती है। इससे सही नियत्रंन का जायजा लेना मुशिकल होता है। मगर ग्लायकोसाइलेटेड हीमोग्लोबीन टेस्ट की एक रिडिंग से ही पिछले तीन महीनें में औसत ब्लड सुगर का नियंत्रण कैसा है यह पता चल जाता है। इसका पैमाना हर लैबोरेटोरी में कुछ अलग हो सकता है। अगर इस टेस्ट की रिडिंग 7% से कम है तो इसका मतलब है कि पिछले तीन महीने में आपके सुगर का नियत्रंण संतोषजनक रहा है।
परिणाम, 2011 में ए.डी.ए.ने नये मानक दिए हैं:
5.0 % के नीचे – डायबिटीज नही है.
5.7 % से 6.4- प्री-डायबिटीज
6.5 % से ज्यादा-डायबिटीज हो गया है.
6.5 से 7% तक – अच्छा नियत्रंण
7% से 8% तक – संतोषकजनक
8 से 10% तक – असंतोषकजनक नियत्रंण
इस एक रिडिंग से ३ महीने का एभरेज शुगर जाना जा सकता है।