एक वैद का दावा है जिन्दा मछली का गलफर(ग्रील)खाने से सदा के लिए डायबिटीज खत्म हो जाता है
एक बार एक डायबिटीज का मरीज दिखाने आया। जाँच के बाद उसका सीरम क्रियेटीन 9 मि.ग्रा. पाया गया यानि वह किडनी फेल्यर में था। उसे रिफर करना पङा। एक बङे सेन्टर में किडनी फेल्यर का डायगनोसिस हुआ। मात्र 10 दिन बाद उसका सीरम क्रियेटीन 0.9 मि.ग्रा.यानि नारमल हो गया।इससे डाक्टरों को बङा आश्चर्य हुआ।
उसके लौटने के बाद मैंने उससे डिटेल में बात की। उसका प्रोब्लेम तब शुरू हुआ जब एक वैद के कहने पर मछली का गलफर [ग्रिल]बिना पकाये उसने खाया। वैद ने गारन्टी दी थी कि इससे रोग जङ से चला जायेगा। मगर इससे उसकी किडनी ही फेल कर गयी। खैरियत यह रही कि किडनी का फेल्यर टेम्पोरेरी रहा।
मधु (हनी) अब प्रयोग में लायी जा रही है डायबिटीज के घाव की ड्रेसिंग में काफी प्रभावकारी है।

मधु का प्रयोग सन 2000 के बाद काफी बढा है। यह एन्टी बैक्टेरियल है,संक्रमण को दूर करता है,सूजन को दूर करता है। इसमें घाव को साफ (डिब्रिजमेंन्ट)करने की क्षमता है जिससे दुर्गन्ध दूर होता है और घाव ज्लदी भरता है। यह टिशू रिजेनेरेशन यानि ऊतकों को फिर से बनाने लगता है।इसमें एन्टी फंगल गुण भी है। सन 2005 में कूपर ने अपने शोध में दिखाया कि केवल लेप्टोपरमम – पलांट स्पेशिज से उत्पन्न मधु में ही ये गुण होते हां।अस्टैलिया में मेडीहनी के नाम से यह उपलब्ध है।
मधु में 80 प्रतिशत सुगर एंव 20 प्रतिशत पानी होता है। लोगों को यह भ्रम है कि इसके उपयोग से ब्लड सुगर बढ सकता है मगर शोधों ने दिखाया है कि ऐसा नहीं होता है।