गलत धारणाओं को हटा दें।

• आप जो भी खाते हैं वह कारबोहाइड्रेट, प्रोटिन, या फैट से सम्बन्धित रहता है। कुछ भोज्य पदार्थों में, जैसे दूध में ये तीनो रहते हैं।
• जो समान्य आदमी के लिए संतुलित भोजन है,वही मधुमेह के रोगी के लिये भी है।
• मधुमेह के रोगी नीरस,बेस्वाद भोजन खाएँ,ऐसा नहीं है ।आप अपनी इच्छानुसार थोड़ा हेर-फेर करके स्वादिष्ट भोजन खा सकते हैं।

आप चावल खा सकते हैं।

नई धारणा यह है कि इससे कोई अंतर नहीं पड़ता है कि आप चावल खाते हैं, गेहूँ खाते हैं, मक्का खाते हैं, जौ या रागी खाते हैं। एक पूरी जमात हैं दुनिया मैं जो मधुमेह में चावल या आलू मना कर देते हैं। यह मगर बेकार कि बातें है। मुख्य बात यह है कि कितनी मात्रा में अनाज का सेवन किया जाये न कि किस अनाज का सेवन किया जाए।

• एकरसता से बचने के लिए भोजन के कैलोरी मूल्य को समझना जरुरी है। एक आइटम का आदान-प्रदान आप दूसरे से कर सकते हैं।
• एक रोटी(20ग्राम) की जगह तीन चम्मच(75ग्राम) भात खा सकते हैं, या एक इडली या एक ब्रेड या 75 ग्राम आलू या 75 ग्राम नूडल्स खा सकते हैं।
• एक अण्डे की जगह 30 ग्राम चिकेन या 30 ग्राम माँस या 30 ग्राम चीज़ खा सकते हैं।
• एक ग्लास दूध की जगह 2 कटोरी दही या 60 ग्राम पनीर या 30 ग्राम खोआ खा सकते है।
• मधुमेह के ईलाज में नियंत्रित भोजन का प्रमुख स्थान है। भोजन में इसलिए बहुत ज्यादा हेर-फेर न करे।
• प्रोटीन की मात्रा सही रखने के लिए चना, मुँग, दाल आदि का सेवन करें।
• मछली में ओमेगा-3 फैटी ऐसीड रहने के कारण यह आपके लिए अत्यन्त उपयोगी है। सरसों का तेल सर्वोत्तम है। करडी का तेल, सनफ्लावर तेल आदि अब ह्र्दय एवं मधुमेह के लिए खतरनाक माने जा रहे है। घी, मक्खन, नारीयल तेल, ताड़-तेल आदि का प्रयोग कम से कम करें।
• रेशा युक्त भोजन अत्यन्त जरुरी है। इससे कॉलेस्टारोल भी कम होता है, ऑतो के कैंसर से भी बचाव होता है। यह फैट एवं सुगर को तुरंत ऑतो से रक्त में जाने से भी रोकता है। 25 से 35 ग्राम फाइबर(रेशा युक्त) पदार्थ रोज अवश्य खाएँ।
• सभी प्रकार के अनाज, दालों(चना, उड़द, मुँग), सब्जियों और हरी पत्तादार सब्जियाँ, इसबगोल आदि प्राकॄतिक रेशायुक्त श्रोत है।
• अगर आप उपवास करते हैं तो दवाओं को या इन्सुलीन को लेने में सावधानी बरतें अन्यथा ब्लड सुगर कम हो सकता है।
• दोनो समय के खाने के बीच के समय में छाछ, टमाटर का रस, निंबु पानी, सूप, सलाद आदि का सेवन भरपूर कर सकते हैं।
• जब ब्लड सुगर नियंत्रित हो जाएँ तो सेव, संतरा, पपीता, तरबूज, अमरुद, मौसम्मी, खरबुजा खा सकते है।

कभी मत खाएँ:

शक्कर, श्हद, गुड़, ग्लुकोज, मिठाइयाँ, पिस्ता, खजुर, किशमिश। पेस्ट्री केक, शरबत, आइसक्रीम, सॉफ्टड्रींक, कैण्डी, हॉरलिक्स, बोर्नबिटा, चाक्लेट, जेली, जैम, तली छनी चीजें। अंगुर, लिचि, पका केला, पका अमरुद।

फलों में – जामुन, पका पपीता 100 ग्राम, हरा अमरुद – 1, तरबुज 100 ग्राम, 1 मौसम्मी या 1 सेब खा सकते हैं।

कौन सा कारबोहायड्रेट खाएँ/ग्लायसेमिक इन्डेक्स से आइडिया मिलेगा।

ग्लायसेमिक इन्डेक्स से आइडिया मिलेगा। जब कोई कारबोहायड्रेट खाते हैं तो पाचन के बाद ग्लुकोज अवशोषित हो कर रक्त में जाता है।जिस कारबोहायड्रेट को खाने के बाद रक्त में ग्लुकोज धीरे-धीरे जाता है वह् मधुमेह नियन्त्रण में सहायक है। ग्लायसेमिक इन्डेक्स का स्केल 1 से 100 तक है। अगर किसी पदार्थ का इन्डेक्स 100 है तो इसका मतलब है वह् बहुत तेजी से रक्त में जा मिलेगा और 1 है तो येह् बहुत धीरे से। ग्लुकोज का ग्लायसेमिक इन्डेक्स 100 है,अतः येह् तेजी से रक्त में जा मिलता है,बार्ली का 22 है,यह धीरे-धीरे रक्त में जाता है।

कुछ भोज्य पदार्थो का ग्लायसेमिक इनडेक्स:
• ब्रेड – 69
• बार्ली – 22
• अरवा चावल – 72
• आइसक्रीम – 38
• दही – 38
• सेव – 38
• केला – 61
• संतरा रस – 49
• अंतरा – 43
• आलु – 58
• कार्न चिप्स – 72
• फ्रुक्टोज – 22
• रिफाइन्ड सुगर – 64
• रोटी – 72
• उसना चावल – 66
• सोयाबीन – 14
• दूध – 34
• कार्नफ्लेक – 38
• स्ट्राबेरी – 32
• आलु का भरता – 86
• आलु चिप्स – 56
• मधु – 91

ग्लायसिमिक इंडेक्स के द्वारा खून में शर्करा घुलने की गति का पता चलता है अधिक ग्लायसिमिक इंडेक्स वाले भोजन से खून में सुगर की मात्रा तेजी से बड़ती है और फिर उतनी ही तेजी से कम भी हो जाती है। कम ग्लासिमिक इंडेक्स वाले भोज्य पदार्थ वजन घटाने तथा इन्सुलीन की संवेदनशीलता बनाये रखने में सहायक होते हैं। चना का ग्लायसिमिक इंडेक्स 49 होता है, सोयाबीन का 20 तो भुने हुए आलू का 135 । किसी भी पदार्थ का ग्लायसिमिक इंडेक्स 70 से ज्यादा हो तो खून में सुगर तेजी से बढता है ।

मीठापाकेलिएकॄत्रिमपदार्थ।

A. सॉकारीन – इसका प्रयोग चाय आदि में किया जाता है। दिन भर में 5 गोलियों से ज्यादा का प्रयोग न करें।

B. एसपारटेम – इसका प्रयोग मीठापा के लिए किया जाता है। मगर इसका ज्यादा प्रयोग हानिकारक हो सकता है।

C. सुक्रालोज (जीरो/ईलाटा) – यह सुरक्षित है। सुक्रोज से 600 गुणा ज्यादा मीठा है।

D. एसल्फेम के।

रेशे वाले पदार्थ अवश्य खाइए।

इसे ‘फाइबर’ कहते है। फाईबर खाने के बाद पचता नहीं। आंतों में यह पानी सोखता है और मल को निकालने में मदद करता है। ज्यादा फाईबर युक्त भोजन मधुमेह एवं ह्र्दय रोग से बचाव भी करता है। अगर भोजन में 55 ग्राम तक रेशे खाएँ तो इससे रक्त कोलेस्टेरोल कम होगा, वजन नियत्रंण में सहायता मिलेगी और ब्लड-सुगर का भी नियत्रंण अच्छा होगा। वजन कम करने के लिए अघुलनशील फाइबर ज्यादा खाएँ जो चोकरयुक्त रोटी, फलों एवं सब्जियों के छिलकों , बीजों आदि में मिलता है। घुलनशील फाइबर वाले पदार्थ सुखे हुए बिन्स, बार्ली, सेव, आलु, खट्टे फलों आदि से मिलते है और ह्र्दय के लिए लाभदायक है। घुलनशील फाइबर खाएँ तो पानी ज्यादा पीयें। इसबगोल की भूसी घुलनशील फाइबर के ग्रुप में आती है और इसका प्रयोग अत्यन्त लाभकारी है।

खूब खाइए:

हरा, लाल एवं पीले रंग वाले फलों एवं सब्जियों में कुछ ऐसे पदार्थ होते है जो ह्र्दय रोग, कैंसर एवं संक्रामक रोगों से बचाव करते है।
• टमाटर में मिलता है लाइकोपीन और यह् शरीर की रक्षात्मक सिस्टम को मजबुत करता है।
• बेरीज-इसमे एन्टी आक्सिडेन्ट के गुण बहुत ज्यादा है।
• प्याज एवं लहसुन में है आरगेनोसल्फर- ह्रदय के लिये लाभ कारी है।लहसुन के कई अन्य गुण है।
• ग्रीन चाय/ब्लैक चाय, प्याज, रेडवाईन, सेव में ऐसे पदार्थ हैं जो रक्त में थक्का नहीं बनने देते है।
• सोयाबीन – यह रक्त में कोलेस्टेरोल कम करने में उपयोगी पाया गया है।
(एन्टीआक्सीडेन्ट वैसे पदार्थ है जो शरीर में खराब रसायनों(आक्सीजन फ्रीरेडीकल) को पकड़ लेते हैं और उन्हें शरीर से बाहर निकाल देते हैं। आजकल विटामीन सी एवं विटामीन ई का प्रयोग एन्टीआक्सीडेन्ट के रुप में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

मधुमेह के रोगी नमक कम खाएँ।

ज्यादा नमक खाने से रक्त चाप बढ़ने लगता है। मधुमेह के रोगी में ज्यादा नमक से रक्तचाप बढ़ने का खतरा रहता हैं और गुर्दो के खराब होने का भी डर रहता है। नमक कम खाने का का मतलब है कि नमकीन चीजों जैसे दालमोट, अचार, पापड़, चिप्स आदि का प्रयोग न करें। सलाद में एक्सट्रा नमक न डालें। दाल-सब्जी में प्रयुक्त नमक ठीक है।

सही भोजन से:

• रखिए नियंत्रित मधुमेह को।
• मधुमेह से उत्पन्न होने वाली दूसरी जटिलताओं से बचिए।
• दवाईयों का सेवन में कमी की जा सकती है।
• शारीरिक वजन को सही रखा जा सकता है।

जितना मन, उतना खाइए:

बीन्स, भिण्डी, टिंडा, फूल, गोभी, अदरक, सरसों, पत्ता, शिमला, मिर्च, तोरई, बैंगन, लहसून, हरी, सब्जियाँ, मूली, टमाटर, लौकी, कच्चा, पपीता, हरा, धनिया, ककड़ी, पालक, करेला, प्याज, पुदीना, पत्ता, गोभी, मेथी, पत्ता, सहजन।

आम खायें या नहीं?

मरीजों के बीच यह धारणा है की मधुमेह में आम खाना जहर के समान है। मगर यह धारणा गलत है। रोज एक पका खाना साईंटिफिक है। हां, ज्यादा आम एक दिन में मत खाइये। आम फलों का राजा है। एक आम में करीब ६० से ७० कैलौरी रहती है। इतनी ही कैलौरी एक बड़े साइज के केले में होती है। कैलौरी के अलावा आम में कैरोटीन, ऐमिनो एसिड, विटामिन-सी, ग्लुटानिक एसिड, ग्लायसीन एवं मेथियोनिन जैसै पोषक तत्व होते हैं। इसमें पोटाशियम, आयरन, फासफोरस, मैगनिशयम,जिंक, एंव सेलेनियम जैसे महत्वपूणॅ पोषक तत्व होते हैं जो मधुमेह मे लाभदायक होते हैं। इसमें फाइबर भी खूब होता है जो आतों को गति देता है।इसलिए मैंगो जूस की जगह पूरा आम खाइए ।डायबिटीज के मरीज एक पका आम खा सकते हैं। मगर याद रखें , कारबाइड से पके आम स्वास्थय के लिए हानिकारक हैं।

बादाम का नहीं कोई जबाब – आमन्ड नट्स (बादाम ) रोज एक मुट्ठी खाइए।

इसमें उत्तम क्वालिटी का प्रोटीन है। एक आन्स में छह ग्राम। यह तुरत पच जाता है।
एक आन्स में तीन ग्राम फाइबर है (अस्सी फीसदी अघुलनशील एवं बीस फीसदी घुलनशील)। इससे कोलेस्टारोल घटता है आंतों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
इसका फासफोरस व कैलशियम हड्डी को ठीक रखता है। मैगनिशियम, विटामिन-सिक्स, आयरन, जिंक, कॉपर, मैगनीज, सेलेनियम, थायमीन, राइबोफ्लेवीन, नियासिन, फॉलेट, विटामीन-ए जैसे पोषक तत्वों से यह भरा है। एक मुट्ठी नट्स का खाना डायबिटीज के मरीज का बचाव करता है एवं स्वस्थ व्यक्ति को डायबिटीज होने से बचाता है। हृदय रोग को भगाता है। इसे (पावर हाउस को) कच्चे पूरा चबा कर (रोज एक मुट्ठी) खाइए। इससे वजन को घटाने मे भी मदद मिलेगी। डायबिटीज एवं हृदय रोग के अलावे कैंसर एवं डिजेनेरेटिव रोगों से भी यह बचाता है।

आलू का क्या करें?

अमेरिकन डायबिटीज एशोसिएशन और अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने आलू को हेल्दी फुड बताते हुए इसके गुणों का गान किया है। आलू को उन्होंने वेजिटेबल की श्रेणी में ही रखा है और वेजिटेबल स्वास्थ्य के लिए अच्छा ही होता है। मगर आलू के दुश्मनों की कमी नहीं है। । किसी भी पदार्थ का ग्लायसिमिक इंडेक्स 70 से ज्यादा हो तो खून में सुगर तेजी से बढता है। इस मायने में आलू का ग्लायसिमिक इंडेक्स बुरा है। मगर आलू को प्राकृतिक तौर पर खाया जाये तो वह खराबी नहीं करता।

आपके लिए है यह भोजन तलिका (1800 कैलोरी मिनु):

नास्ते में:

• चाय – बिना चीनी के (एक कप)
• दूध – एक ग्लास (240 मिO लिO)या छेना 6 ग्राम
• रोटी – दो (बड़ी) या मुड़ी दो बङा चम्मच या दलिया एक् कटोरी(115 ग्राम) या स्लाइस ब्रेड-4 या इडली-4 या चूड़ा 50 ग्राम, अण्डा -एक

दोपहर में:

• रोटी-(100 ग्राम आटे की) चार मिडियम साइज या पराठा(50 ग्राम आटे की) -दो
• चावल – 4 बड़े चम्मच से(300 ग्राम पका हुआ)
• दाल – एक कटोरी
• दही – एक कटोरी (125 ग्राम) या मछली (3 पीस मिडियम)
• हरी सब्जियाँ (125 ग्राम)। सलाद पूरा
• फल – एक
• भोजन बनाने में प्रयुक्त तेल 10 ग्राम(दो चम्मच) / एक पापड़

शाम का नास्ता:

• चाय – एक कप
• चूड़ा – एक बड़े चम्मच भर (75 ग्राम) या उपमा 30 ग्राम या बिस्कुट 2 या 3

रात का खाना:

• रोटी – तीन मिडियम साइज की (75 ग्राम) या चावल 275 ग्राम पका हुआ (3 बड़े चम्मच)
• दाल – 25 ग्राम (एक कटोरी)
• मछली – 100 ग्राम (3 पीस)या माँस/चिकेन 3 पीस मिडियम साइज (90 ग्राम) या पनीर 60 ग्राम या दूध 1 ग्लास
• हरी सब्जियाँ / सलाद पूरा
• भोजन बनाने में प्रयुक्त तेल 10 ग्राम(2 चम्मच) (सरसों तेल ही उत्तम है)

नास्ते में, रोटी की जगह 1 डोसा या 2 इडली या 120 ग्राम उपमा ले सकते हैं। दाल की जगह साभंर 125 ग्राम या रसम 2 कटोरी ले सकते हैं।

(यह एक सरलीकॄत मिनु है। आपके आदतानुसार कैलोरी का निर्धारण कर उपयुक्त मिनु बनाई जा सकती है।)