कहते हैं कि खाने में आलू , देश में लालू , और जंगल में भालू न हो तो मजा खत्म हो जाता है। आलू सबका प्रिय है और ऐसे बहुत लोग हैं, जो हरी सब्जियों से नफरत और आलू से गहरा इश्क करते हैं।
अमेरिकन डायबिटीज एशोसिएशन और अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने भी आलू को हेल्दी फुड बताते हुए इसके गुणों का गान किया है। आलू को उन्होंने वेजिटेबल की श्रेणी में ही रखा है और वेजिटेबल स्वास्थ्य के लिए अच्छा ही होता है। मगर आलू के दुश्मनों की कमी नहीं है। अमेरिकन जनरल आफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन के फरवरी 06 के अंक ने आलू और आलू चिप्स को डायबिटीज पैदा करने वाला फुड करार दिया है। डॉ लॉरी बारवले और डा डिसेर लाई आलू के पीछे 20 साल तक लगे रहे। उन्होंने चौरासी हजार पांच सौ पचपन हेल्दी औरतों को सन 1976 में शोध के लिए चुना। फिर अगले बीस साल तक उनको अपने ट्रैक में रखा और कौन औरत कितना आलू और फ्रेन्च फाईज खाती है उसका हिसाब रखा। पता नहीं, क्यो शोध में उन्होंने मर्दो को नहीं लिया। औरतों से उन्होंने जब भी बात की केवल आलू के बारे में ही बात की। बीस साल के शोध में उन्होंने पाया कि 84555 औरतों में 4496 औरतों को डायबिटीज का मामला केवल इसलिए हुआ कि वे आलू और चिप्स की दीवानी थी। अथक मेहनत और पैसा लगा कर बीस साल तक शोध एक विषय पर करना आसान काम नहीं है। इस शोध के तहत यह सिद्ध किया गया कि आलू का निरंतर सेवन स्वस्थ महिलाओं में डायबिटीज पैदा कर सकता है, मगर यह रिस्क उन महिलाओं को रहता है जो मोटापे से ग्रसित रहती हैं और अन्न की जगह ज्यादा आलू खाती हैं।
आलू का ग्लायसिमिक इंडेक्स ज्यादा होता है। ग्लायसिमिक इंडेक्स के द्वारा खून में शर्करा घुलने की गति का पता चलता है अधिक ग्लायसिमिक इंडेक्स वाले भोजन से खून में सुगर की मात्रा तेजी से बढ़ती है और फिर उतनी ही तेजी से कम भी हो जाती है। कम ग्लायसिमिक इंडेक्स वाले भोज्य पदार्थ वजन घटाने तथा इन्सुलीन की संवेदनशीलता बनाये रखने में सहायक होते हैं। चना का ग्लायसिमिक इंडेक्स 49 होता है, सोयाबीन का 20 तो भुने हुए आलू का 135 । किसी भी पदार्थ का ग्लायसिमिक इंडेक्स 70 से ज्यादा हो तो खून में सुगर तेजी से बढता है। इस मायने में आलू का ग्लायसिमिक इंडेक्स काफी बुरा है। मगर आलू को प्राकृतिक तौर पर खाया जाये तो वह खराबी नहीं करता।
आलू का आपरेशन कर हम उसे चिप्स , फ्राईड चिप्स और न जाने क्या- क्या बनाकर उसे खराब फुड की श्रेणी में ला देते हैं। ऐसी हालतों में आलू डायबिटीज लाने में मदद करेगा ही। अध्ययन में वस्तुतः यह भी पाया गया कि यह रिस्क मुटापे से ग्रसित और शारीरिक श्रम न करने वाली महिलाओं में ज्यादा होता है। एक सिद्धांत है कि खाइये कुछ भी, मगर उसको खूब पैदल चलके जला डालिये ताकि ज्यादा कैलोरी से चर्बी का जमाव शरीर में नहीं हो। जो लोग इस बात का ध्यान रखते हैं उनको थोड़ा अंट शंट खान के बावजूद माडर्न बीमारियों का न्योता नहीं मिलता है।
रामदेव जी महाराज आलू को राम-राम और कद्दू को सलाम करते हैं। आलू मोटापे का और कद्दू पतले होने का सांकेतिक जलवा है मगर आलू के बिना हमारी रसोई नही चल सकती। आलू के खिलाफ मत रहिये, आलू की सब्जी खाइये। चिप्स बनाकर इसका सत्यानाश मत कीजिये। खाइये और पैदल चलकर इसको जला दीजिये।