पिछले कुछ वर्षो से अमेरिका और ब्रिटेन में अनार की बिक्री में जबरदस्त इजाफा हुआ है। इसका बड़ा कारण मीडिया द्वारा अनार के गुणों का जनता तक पहुचया जाना है। आयुर्वेद में हजारों वर्षों से अनार को मेडिसिन के तौर पर अपनाया गया है। अनार के वृक्ष की छाल से डायरिया, डिसेंट्री और पेट के कीड़ों का इलाज होता है। अनार का रस और बीजों को हृदय के लिए टानिक का खिताब दिया गया ह। 2006 के बाद दुनिया के प्रतिष्ठित मेडिकल जरनलों में छपे शोधों ने अनार के जूस को हृदय की कोरोनरी डिजीज के लिए रामवाण सिद्ध किया। रक्त में बढ़े खराब एलडीएल कोलेस्ट्राल को कम करने में नब्बे प्रतिशत तक की क्षमता अनार में पायी गयी। अच्छे एचडीएल कोलेस्ट्राल को बढ़ा कर एवं लिपिड का आक्सिडेशन रोक कर कोरोनरी नलियों में जमी चर्बी को स्थिर करने और हटाने में भी अनार को समक्ष पाया गया। जब मीडिया ने इन शोधों को प्रकाशित किया, तो अमेरिका एवं ब्रिटेन में अनार का जूस पीने की होड़-सी लग गयी। अनार का जूस बेचने वाली आरजेए फूड कंपनी 2006 में प्रति महीने मात्र 50,000 लीटर जूस बेच पा रही थी। आज ब्रिटेन में यह कंपनी 500,000 लीटर अनार का जूस प्रति महीने बेच रही है।

अनार में है क्या?

अनार के जूस में घुलनशील पॉलिफेनॉल, टेनीन एवं एंथोसायनीन जैसे अतिशक्तिशाली एंटी आक्सिडेंट पाये जाते हैं, जो शरीर में उत्पन्न जहरों को शरीर के बाहर निकाल देते हैं। अभी हाल में पता चला है कि अनार में इलागीटानीन नामक एक एंटी आक्सिडेंट होता है, जो शरीर में मेटाबोलिज्म के बाद यूरोलीथीन में परिवर्तित हो जाता है। यह यूरोलीथीन प्रोस्टेट ग्रंथि में जाकर प्रोस्टेट कैंसर कोशिकाओं के ग्रोथ को रोकने में सक्षम हैं।

प्रोस्टेट कैंसर में कारगर

नवीनतम शोधों ने एक महत्वपूर्ण खोज की है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में हुए एक सोध में दिखाया गया है कि अनार के जूस में पाये जाने वाले इलागीटानीन के प्रभाव से शरीर में प्रोस्टेट कैंसर को फैलने से रोका जा सकता है। यह किमोथेरापी एवं रेडियेशन थेरापी की असफलता के बाद भी कैंसर कोशिकाओं की बढ़त को रोक देता है। अनार का जूस लगातार पीने वालों में प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना काफी कम जाती है। फेफड़े के कैंसर की बढ़त रोकने में अनार के जूस को सक्षम पाया गया है। ब्रेस्ट कैंसर, कोलोन कैंसर एवं स्कीन कैंसर के इलाज में भी इसे प्रभावशाली पाया गया है।

डायबिटीज में असरदार

इस्राइल में हुए शोधों के अनुसार डायबिटीज में भी अनार का एक ग्लास जूस अवश्य लेना चाहिए। इसमें शुगर की मात्रा काफी होती है, मगर पाया गया है कि यह शुगर एंटी आक्सिडेंटों के साथ चिपका रहता है। इसलिए रक्त में शुगर की मात्रा नहीं बढ़ती। डायबिटीज में होनेवाले तमाम खतरनाक दुष्परिणामों को रोकने में अनार प्रभावशाली ढंग से सक्षम है। कुछ शोधकर्ता तो अनार को डायबिटीज के नेचुरल क्योर की तरह आंक रहे हैं। उनका कहना है कि जिन जहरों के कारण डायबिटीज की शुरुआत होती है और आंख, किडनी, हार्ट, ब्रेन जैसे अंगों की खराबी होती है, उस पर अनार में पाये जाने एंटी आक्सिडेंटों द्वारा कुठाराघात किया जा सकता है।

गुणों का खजाना

अनार के वृक्ष की पत्तियों का एक्सट्रैक्ट लेने से भूख कम लगती है और मोटापे के इलाज में मदद मिलती है। नपुंसकता की समस्या में भी एक शोध ने अनार के जूस को प्रभावशाली पाया है। गर्भवती स्त्रियों को अनार का जूस लेने से नवजात शिशुओं को ब्रेन डैमेज होने का खतरा कम जाता है। ओस्टियो अर्थराइटिस एवं अन्य प्रकार के ज्वाइंट डिजीज में भी इसका चमत्कार देखा जा सकता है। अलजाइमर रोग से बचाव में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। यह रक्तचाप को कम करता है, दांतों को स्वस्थ रकता है एवं तमाम जीर्ण रोगों में फायदा पहुचाता है। ऐसा होने का मुख्य कारण अनार में पाया जाने वाला हाइ क्वालिटी का हाइ एंटी आक्सिडेंट कंटेंट है। रेड वाइन, ब्ल्यू बेरी जूस एवं ग्रीन चाय से भी ज्यादा एंटी आक्सिडेंट इसमें है। दुनिया की सभी पुरातन सभ्यताओं ने अनार के गुणों का खूब वर्णन किया है। अब आधुनिक मेडिकल साइंस उन्ही गुणों को स्थापित कर रहा है।