आजकल जब अपना लिपिड प्रोफाइल कराते हैं तो कोलेस्टेरोल, ट्राइग्लासेराइड के अलावा हाइडेनसिटी लाइप्रोटीन (एच.डी.एल. कोलेस्टेराल) एवं लो डेनसिटी लाइप्रोटीन (एल.डी.एल. कोलेस्टेराल) की जाँच बहुत जरुरी मानी जाती है। यह सबको पता होना चाहिए कि कोलेस्टेरोल का बढ़ा रहना हॄदय आघात के लिए भारी खतरा है, क्योंकि हॄदय की कोरोनरी आरटरीज के भीतर जमाव की संभावना बढ़ने लगती है। मगर कोलेस्टेरोल के विभिन्न अवययों के स्वभाव अलग-अलग हैं।

एच.डी.एल. कोलेस्टेराल शरीर में दोस्त की तरह है। इसकी मात्रा शरीर में जितनी ज्यादा हो उतना अच्छा है। ठीक उसके उलट एल.डी.एल. कोलेस्टेराल भारी दुश्मन की तरह है। इसकी मात्रा शरीर में जितनी कम हो उतना ही अच्छा है।

चिकित्सा विज्ञान एचडीएल कोलेस्टेराल के तिलिस्म को खोलने में जुटा हुआ है।

अगर आपका एच.डी.एल. कोलेस्टेराल 35 मि.ग्रा. से बढ़ाकर 60 मिग्रा तक बढ़ा दिया जाए तो हृदयाघात होने की संभावना में भारी कमी हो जाती है। संसार में एक समुदाय के लोगों में एचडीएल कोलेस्टेराल 100 मिग्रा. के आसपास होता है और उनके खान-पान और शारीरिक श्रम में अनियमितता के बावजूद उनमें हृदयाघात नहीं पाया जाता। एचडीएल कोलेस्टेराल को बढ़ाने में दवाइयों का असर कुछ खास नहीं है। स्टेटीन, फेनोफाइबरेट जैसी प्रचलित दवाइयों से अच्छा काम तो सस्ती दवा नियासिन करती है। एरोबिक व्यायाम एवं योगासन का असर ज्यादा अच्छा पाया गया है।

ओमेगा फैटी एसिड, नियंत्रित अलकोहल एवं इसटेरोजेन का प्रभाव भी कुछ हद तक होता है। एचडीएल कोलेस्टेराल को बढ़ाने के नए तरीकों पर खोज जारी है।

एल.डी.एल कोलेस्टेराल का बढा रहना खतरनाक पया गया है।

इसकी मात्रा अब तो 70 मिग्रा. से कम रखने की हिदायत दी गयी है। एल.डी.एल कोलेस्टेराल जैसे ही बढ़ता है शरीर में कोलेस्टेरोल का जमाव व्यापक तौर पर शुरू हो जाता है। यह दुर्जन की तरह कार्य करता है। एच.डी.एल कोलेस्टेराल की सृजनात्मकता पर प्रहार करता है। बाजार में आज इस दुर्जन कोलेस्टेराल को कम करने के लिए प्रभावी दवाइयां उपलब्ध है। स्टेटीन/फाइबरेट/नियासिन आदि के प्रभाव में एल.डी.एल कोलस्टेराल को कम किया जा सकता है।

सामाजिक संदर्भों में भी हाई डेनसिटी कोलेस्टेराल।

सामाजिक संदर्भों में भी हाई डेनसिटी कोलेस्टेराल एवं लो डेनसिटी कोलेस्टेराल की तरह के लोग हैं उनकी ओछी मानसिकता हाई डेनसिटी वाली सृजनात्मक गतिविधियों को पछाड़ने में लगी है। उन्हें स्वयं तो कुछ करना नहीं है। उनके जीवन का मिशन ही है जो करनेवाले हैं, उनकी टांग पकड़कर खीचते रहो। थोड़ी देर के लिये यह हाई डेनसिटी को धूमिल करने का कुत्सित प्रयास कर परम आनंद का अनुभव भी करते हैं मगर दुनिया का दस्तूर है जो सच है वही टिकता है और जो सही है उसकी दुनिया पूजा करती है। राजनैतिक परिप्रेक्ष्यों में तो ऐसे खेल लगातार हो रहे हैं। सामाजिक समीकरणों को भी तोड़ने-मरोड़ने के प्रयास जारी हैं।

हाई डेनसिटी कोलस्टेरोल मगर अपनी धुन में मस्त रहता है।

हाई डेनसिटी कोलस्टेरोल मगर अपनी धुन में मस्त रहता है उसका काम ही है गंदे कोलेस्टेरोल को खून से बाहर निकाल कर फेंकना ताकि आप हृदयाघात से बचते रहें। आप प्रयास करें कि किन उपायों से हाई डेनसिटी कोलस्टेरोल आपके साथ रहे और उसकी मात्रा दिनोदिन शरीर में बढ़ती रहे।

हाल में एच.डी.एल (हाईडेनसिटी) कोलेस्टेरोल का इंजेक्शन हृदयाघात के समय दिया गया और इससे मरीजों को महत्वपूर्ण फायदे हुए। इस विषय पर अभी शोध तेजी से जारी है।

पंख न कोई, धुआं न कोई – उड़ते फिरै चिनगारी।

जिदंगी के गणित में हाई डेनसिटी कोलस्टेरोल ही बनिए। निम्न डेनसिटी के कोलस्टेरोल सरीखे खेल को देखते रहिए, जब उसका उत्पात बढ़ जाए तो इंजेक्शन का एक डोज देना तर्कसंगत ही जान पड़ता है। इससे दिल का मामला शांत रहेगा……वावले किसी पीर औरिया की मानंद उठिए-दिल हाकिम दरबार लगावै-दिल आपे दरबारी। पंख न कोई, धुआं न कोई-उड़ते फिरै चिनगारी।