आजकल तरबूज की पूरे अमेरीका में धूम मची है। सभी बड़े होटलों में ब्रेकफास्ट के समय इसका उपलब्ध रहना लगभग अनिवार्य माना जा रहा है। इसका बड़ा कारण पिछले पांच वर्षो में कुछ नये शोधों द्वारा तरबूज के नये फायदों का खुलासा होना है। डॉ भीमू पटेल, टेक्सास के फ्रूट एवं वेजिटेबल विभाग के डायरेक्टर हैं। उनका कहना है कि बेजोड़ चीज है तरबूज।
नये शोध ने दिखाया है कि तरबूज में वियाग्रा दवा जैसा गुण है
अगर यौन शक्ति में कमी है, इरेक्शन की समस्या है या यौन इच्छा का अभाव है, तो रोज पांच बार तरबूज खाने की सलाह दी गयी है। न्यूट्रीशन मेडिकल जरनल एवं साइंस डेली पत्रिका में छपे शोध के अनुसार तरबूज में सिटूलीन नामक जैव रसायन होता है, जो शरीर में जाकर अरजीनीन नामक एमीनो एसिड में परिवर्तित हो जाता है। अरजीनीन की सही मात्रा शरीर में रहे, तो नाइट्रिक आक्साइड प्रचुर मात्रा में बनता है। नाइट्रिक आक्साइड को 1992 में मालिक्यूल आफ डिकेड कहा गया था। यह पाया गया था कि हमारी रक्त वाहिनियों की आंतरिक सतह इंडोथेलियम से यह साबित होता है। यदि यह सही मात्रा में शरीर में रहे, तो हार्ट की बीमारी न हो, रक्तचाप ठीक रहे, अर्थराइटिस से निजात मिले और कई तरह के कैंसरों से बचाव हो। तरबूज खाने से नाइट्रिक एसिड की मात्रा संतुलित हो जाती है। यौन अंगों में नाइट्रिक एसिड बनने से वहां रक्त प्रवाह सही हो जाता है, यही है वियाग्रा जैसा प्रभाव। सिटूलीन की अधिकता से शरीर की प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ़ती है और शरीर का जहर बाहर निकल जाता है।
लाइकोपीन का राजा
लाइकोपीन अत्यंत महत्वपूर्ण जैव रसायन है, जो हमारे हृदय को स्वस्थ रखता है, प्रोस्टेट कैंसर से बचाता है और त्वचा को स्वस्थ करता है। टमाटर को अभी तक साइकोपीन का राजा कहा जाता है, मगर अब पाया गया है कि तरबूज में ज्यादा लाइकोपीन रहता है। एक मीडियम साइज टमाटर में चार मिग्रा लाइकोपीन होता है और यदि दो कप की मात्रा तरबूज लें, तो इसमें 18 मिग्रा।
उच्च रक्तचाप में फायदा
जिनका रक्तचाप सामान्य से ज्यादा है, यदि वे नियमित तरबूज दिन में पांच बार (करीब एक प्लेट) खाएं, तो रक्तचाप सामान्य हो जाता है। ऐसा प्री हाइपर टेंशन के लोगों में होता है। जो लोग दवाइयां खाते हैं, उन्हें भी तरबूज खाने से रक्तचाप सामान्य करने में मदद मिलती है। (अमेरिकन जरनल आफ हाइपरटेंशन के अनुसार)
डायबिटीज है, खाइए तरबूज
एक सामान्य धारणा है कि डायबिटीज हुआ, तो तरबूज बंद कर दीजिए। मगर, नये शोधों के अनुसार जो जैव रसायन तरबूज में हैं, वे अंततह ब्लड सुगर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं और बीमारी के दुष्परिणामों से बचाते हैं। यह सही है कि तरबूज का ग्लायसिमिक इंडेक्स 72 है और इसके खाने से तेजी से ग्लूकोज रक्त में जाता है। मगर रहस्य यह है कि इसका ग्लायसिमिक लोड मात्र चार है। यदि यह 20 से ज्यादा रहता, तो डायबिटीज में खाने लायक नहीं रहता। यदि 120 ग्राम तरबूज हम खाते हैं (करीब एक कप) तो इसमें मात्र 50कैलोरी होती है। जितना आप खाते हैं, उसमें 92 प्रतिशत तो केवल पानी रहता है।मात्र आठ कार्बोहाइड्रेड इसका मतलब है कि यदि सीमित मात्रा में आप तरबूज खाते हैं, तो ब्लड सुगर ज्यादा नहीं बढ़ सकता, डायबिटीज के मरीज तरबूज एक प्लेट करके दिन में पांच बार खाएं, तो यह ब्लड सुगर को नहीं बढ़ाता है। इसका अरजीनीन, सिटूलीन एवं लाइकोपीन डायबिटीज के मरीजों के लिए वरदान की तरह है। ब्रेकफास्ट के लिए यह आदर्श फूड है। इसमें खूब विटामिन सी है, इक्यून बूस्टर जैव रसायन है, जो वजन को कम करता है और एनर्जी देता है।
इंसटेंट एनर्जी के लिए
गरमी के मौसम में थकान हो, जो तुरंत तरबूज लीजिए। बी कंप्लैक्स का यह नेचुरल भंडार है और इंसटेंट एनर्जी देता है। इसमें बीटा-कैरोटीन भी है, जो कोिशकाओं को सेजिंग इफेक्ट से बाचाता है। यह प्यास बुझाने का उत्तम स्रोत है, क्योकि इसमें 92 प्रतिशत पानी ही होता है।
अल्कोहल उत्पादन
अमेरिका में तरबूज के कुल उत्पादन का करीब 20 प्रतिशत खेतों में छोड़ दिया जाता है, जो तरबूज पूर्णतह देखने में ठीक नहीं होते, उनकी मार्केटिंग नहीं होती। अब ओकला यूनिवर्सिटी ने ऐसी तकनीक विकिसत की है, जिससे इसको इथानाल में परिणत किया जायेगा एवं बायो फ्यूल के रूप में इस्तेमाल किया जायेगा। साइंस ने तरबूज के गुणों का रहस्य खोज निकाला है। तरबूज के बीजों का भी अपना महत्व है। यह सस्ता और गरमी के दिनों में सहजता से मिलने वाला फल है। यह हमारे हेल्थ का रछक है। यदि आपको अभी तक कोई भ्रम है, तो अब उस मिथक से बाहर निकल जाइए।