मरीजों को समझना जरूरी है कि उन्हें लगातार एसपीरीन उसके दर्द निवारक गुण के लिए नहीं दिया जा रहा है बल्कि बीमारियों से बचाव के लिए दिया जा रहा है।

डायबिटीज के मरीजों में हृदयघात होने की संभावना 2 से 4 गुणा ज्यादा होती है। शरीर में रक्त में प्लेटलेट्स होते हैं जो खून की नली में विभिन्न कारणों से जम सकते हैं। इनसे कई तरह के जैव रसायन भी स्रावित होते हैं। डायबिटीज के मरीजों में यदि रक्तचाप बढ़ा रहे तो प्लेटलेट्स थ्रोम्बोक्सेन ए-टू नामक जैव रसायन स्रावित करने लगते हैं जिसके प्रभाव में रक्त की नली सिकुड़ जाती और प्लेटलेट्स जमकर थक्का बनाने लगते हैं।

ज्यादा थक्का बनने के कारण हृदयाघात या ब्रेन अटैक (स्ट्रोक) होने की संभावना बनी रहती है। इस विशिष्ट प्रक्रिया के कारण चिकित्साशास्त्र इस बात के लिए शोध करता रहा है कि मरीजों को कुछ ऐसी दवाइयां लगातार दी जायें जो रक्त में प्लेटलेट्स को एक दूसरे से जमने न दें और खून पतला बना रहे। अमेरीकन डायबिटीज एसोसियेशन की नवीनतम गाइडलाइन ने इस विषय पर एसपीरीन की महत्ता पर बल दिया है।

एसपीरीन द्वारा दुबारा अटैक होने की संभावना में महत्पूर्ण कमी होती है।

डायबिटीज के वैसे मरीज जिनको हृदयाघात, स्ट्रोक, वासकुलर सर्जरी, एनजियोप्लास्टी या बाईपास सर्जरी आदि हो चुका है, उनको रोज एसपीरीन की गोली लेना जरूरी है। करीब 145 शोधों का निष्कर्ष यह है कि एसपीरीन द्वारा दुबारा अटैक होने की संभावना में महत्पूर्ण कमी होती है।

डायबिटीज के वैसे मरीज जिसमें अन्य बीमारियां नहीं हुई हैं, उनमें भी प्राइमरी प्रिवेंशन के लिए एसपीरीन रोज लेने की सलाह दी गयी है।

यू-एस फीजिशियन हेल्थ स्टडी, हॉट ट्रायल एवं अरली ट्रीटमेंट डायबेटीक रेटीनोपैथी स्टडी खासकर उल्लेखनीय हैं। इस शोधों में एसपीरीन रोज लेने से हृदयाघात होने की संभावना में 36 प्रतिशत तक की कमी पायी गयी। चालीस साल से ज्यादा उम्र के जो मधुमेह रोगी हैं, उनमें एसपीरीन का उपयोग निश्चित रूप से गुणकारी है।

एसपीरीन मर्दों एवं औरतों में समान रूप से उपयोगी है।

एसपीरीन मर्दों एवं औरतों में समान रूप से उपयोगी है। एसपीरीन की मात्रा को लेकर काफी लोगों में मतभेद है 5 से 160 मिग्रा. की मात्रा उपयोगी एवं सुरक्षित है।

आजकल एसपीरीन डिसपीरीन नाम से बाजार में उपलब्ध है। अब इन्टेरीक कोटेड टेबलेट भी उपलब्ध है। (जैसे लोप्रीन-इकोस्प्रीन)। इसे बिना पानी में घोले ही खाया जाता है। वैसे पेट के झिल्ली को यह भी नष्ट कर सकता है।

एसपीरीन एक सुरक्षित दवा है।

वैसे तो एसपीरीन एक सुरक्षित दवा है। मधुमेह में एसपीरीन मगर कुछ लोगों में एक ही टेबलेट पेट में घाव कर सकता है और खून की उल्टी शुरू हो सकती है। एसपीरीन से जिन्हें एलर्जी है, खून संबंधित बीमारियों से जो पीड़ित हैं, जिन्हें, पेप्टिक अल्सर की बीमारी है एवं एक्टिभ हेपाटिक डिजिज वालों को एसपीरीन लेना मना है। 21 साल से कम उम्र के लोगों को भी समान्यतया एसपीरीन नहीं दिया जाता है।

डायबिटीज के हाई रिस्क के ग्रुप वालों को एसपीरीन अवश्य दिया जाना चाहिए। अगर रोज एसपीरीन न ले सकें तो हफ्ते में तीन-चार दिन भी एसपीरीन दिया जा सकता है, वे क्लोपीडोग्रील नामक दवा ले सकते हैं। एसपीरीन बहुत सस्ती दवा है। यह सर्वत्र उपलब्ध है। इसके जितने गुण हैं उस अनुपात में इसका उपयोग नहीं किया जा रहा है।

डायबिटीज के मरीजों में अब एसपीरीन का उपयोग करना अतिआवश्यक माना जा रहा है।

मरीजों को समझना जरूरी है कि उन्हें लगातार एसपीरीन उसके दर्द निवारक गुण के लिए नहीं दिया जा रहा है बल्कि बीमारियों से बचाव के लिए दिया जा रहा है। एसपीरीन को लेकर पुराने मिथ टूट चुके हैं। डायबिटीज के मरीजों में अब एसपीरीन का उपयोग करना अतिआवश्यक माना जा रहा है।